SAD SHAYARI. Ershad ☝😓😏😏 have lots of shayaries which are compleatly owesome and graceful. हाँ नही बस देती है इनकार मेरी ज़िन्दगी फूल मांगूं देती है बस खार मेरी ज़िन्दगी कुछ नही बस चंद बरसों ही है गुज़री उम्र यह फिर भी लग रही है मुझको भार मेरी ज़िन्दगी हूँ कांच का मैं आईना सब देखते हँस कर मुझे फिर टूटती छन्नाक से हर बार मेरी ज़िन्दगी नफरतों की आंधियों में दीप सा जलता रहा मांगती है चाहती है प्यार मेरी ज़िन्दगी ना तो ये करती है कुछ ना ही सुनती है मेरी बन गयी ज्यों देखिए सरकार मेरी ज़िन्दगी सांस भी लेता हूँ तो है काटती पल पल मुझे खंजरों पर लेटा हूँ है धार मेरी ज़िन्दगी जोरकर सपनों को अपने था बनाया इक सितार और बन बैठी है टूटी तार मेरी ज़िन्दगी ढूंढता हूँ ज़िन्दगी की अब कहानी ऐ "पथिक" कब तलक बनकर रहे अखबार मेरी ज़िन्दगी
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दिल का हर ज़ख़्म मोहब्बत का निशाँ हो
दिल का हर ज़ख़्म मोहब्बत का निशाँ हो जैसे देखने वालों को फूलों का गुमाँ हो जैसे तेरे क़ुर्बां ये तेरे इश्क़ में क्या आलम है हर नज़र मेरी तरफ़ ही निगराँ हो जैसे यूँ तेरे क़ुर्ब की फिर आँच सी महसूस हुई आज फिर शोला-ए-एहसास जवाँ हो जैसे दिल का हर ज़ख़्म मोहब्बत का निशाँ हो जैसे देखने वालों को फूलों का गुमाँ हो जैसे तेरे क़ुर्बां ये तेरे इश्क़ में क्या आलम है हर नज़र मेरी तरफ़ ही निगराँ हो जैसे यूँ तेरे क़ुर्ब की फिर आँच सी महसूस हुई आज फिर शोला-ए-एहसास जवाँ हो जैसे तीर पर तीर बरसते हैं मगर ना-मालूम ख़म-ए-अबरू कोई जादू की कमाँ हो जैसे उन के कूचे पे ये होता है गुमाँ ए ‘उनवाँ’ ये मेरे शौक़ के ख़्वाबों का जहाँ हो जैसे जीने का तेरे ग़म ने सलीक़ा सिखा दिया दिल पर लगी जो चोट तो मैं मुस्कुरा दिया टकरा रहा हूँ सैल-ए-ग़म-ए-रोज़गार से चश्म-ए-करम ने हौसला-ए-दिल बढ़ा दिया अब मुझ से ज़ब्त-ए-शौक़ का दामन न छूट जाए उन की नज़र ने आज तकल्लुफ़ उठा दिया अपनी निगाह में भी सुबुक हो रहा था मैं अच्छा हुआ के तुम ने नज़र से गिरा दिया ‘उनवाँ’ निगाह-ए-दोस्त का अंदाज
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